Famous Food Joints In Delhi-NCR: कुलचों को लेकर हमारी सीधी सी सोच यही है कि जो पतीले वाले छोले के साथ खाए जाते हैं और जो मैदा या आटा से बनाए जाते हैं. लेकिन अब दिल्ली में कुलचों की परिभाषा बदल दी गई है. चूंकि दिल्ली के खानपान में पंजाबी कल्चर हमेशा से हावी रहा है, इसलिए अब कुलचों को आकार-प्रकार और स्वाद बदल गया है. हम अगर पंजाबी (अमृतसरी) कुलचों की बात करेंगे तो मसला बहुत ही शानदार और स्वाद से भरा हुआ होगा. यह कुलचा असल में विभिन्न मसालों, सब्जियों आदि से भरी हुई एक मोटी रोटी है जो तंदूर पर सेंकी जाती है और फिर उस पर ढेर सारा मक्खन डालकर पंजाबी स्टाइल के छोले, चटनी आदि के साथ परोसा जाता है.
आज हम आपको ऐसे ही एक अमृतसरी छोले-कुलचे की दुकान पर ले चल रहे हैं, जिनकी यह डिश पूरी दिल्ली में खासी मशहूर है. आपको हैरानी होगी कि सालों तक इस अमृतसरी छोले-कुलचे वाले ने रेहड़ी पर इनको बेचा. स्वाद का ही कमाल था कि आज इनके दिल्ली में तीन आउटलेट चल रहे हैं. स्वाद और पंजाबियत से भरे-पूरे हैं इनके स्टफ्ड (Stuffed) कुलचे व छोले.
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कुलचों के साथ जितना चाहें छोले खाएं या रायता, कोई बंदिश नहीं
दिल्ली में पंजाबियों की सबसे अधिक बहुलता वेस्ट दिल्ली में हैं. यहां की कई कॉलोनियां पंजाबी लोगों की मानी जाती हैं. उन्हीं को ध्यान में रखते हुए पश्चिम विहार डीडीए मार्केट में ‘बलजीत अमृतसरी कुलचा’ नाम का एक आउटलेट (रेस्तरां) है. जब हम आपको इस आउटलेट के बारे में जानकारी दे रहे हैं तो मान लीजिए कि कुछ तो खास बात होगी ही. यहां की खास बात एक और है और वह है इनका खिलाने का अंदाज, जो सभी को भाता है. वह है इन अमृतसरी कुलचों के साथ कितनी बार छोले लें या रायता. कोई रोकटोक नहीं. जब आप खा लें तो उसके बाद आपको गुड़ की एक डली भी सर्व की जाएगी, ताकि आपका मुंह भी मीठा हो जाए, साथ ही इस भारी-भरकम डिश आसानी से पचाया भी जा सके.
भारी-भरकम कुलचों के साथ देसी घी वाले छोले अलग ही मजा देते हैं
आपको इस आउटलेट पर तीन किस्म के अमृतसरी कुलचे खाने को मिलेंगे. आलू-प्याज, मिक्स व पनीर कुलचा. आप किसी का भी ऑर्डर दीजिए. एक प्लेट में आपको दो कुलचे परोस दिए जाएंगे. कुलचे खासे भारी-भरकम हैं, क्योंकि उनमें स्टफ्ड और मसाला खूब अच्छी तरह से भरा जाता है. तंदूर से जब ये कुरकुरे होकर निकलते हैं तो इनके ऊपर खूब सा मक्खन रख दिया जाता है. इनके साथ प्लेट में बनी कटोरियों में से एक कटोरी में इनके स्पेशल छोले होंगे.
यह छोले खास तरह के मसाले से बनाए जाते हैं और उनमें देसी घी का जानदार तड़का लगा होता है. दूसरी कटोरी में गाढ़ा रायता होगा और एक तरफ कटी प्याज व हरी चटनी भी पेश की जाएगी. सब कुछ गरमा-गरम और फ्रेश. पहला टुकड़ा मुंह में डालते ही दिल-दिमाग को पता चल जाएगा कि मसला वाकई कुछ अलग है. खाते-खाते छोले कम हो गए हैं, तो आपकी कटोरी तुरंत छोलों से भर दी जाएगी. रायते की भी कोई कमी नहीं है. शर्त यही है कि एक प्लेट में एक ही व्यक्ति खाएगा. फिर चाहे आप कितने छोले खाएं या रायता पीएं, कोई रोकटोक नहीं. अगर आपका सिंगल कुलचा खाने का मन है तो वह भी मिलेगा.
इनका स्वाद इतना जानदार है कि आप पूरी प्लेट खाकर ही रुकेंगे. इसके बाद आपको गुड़ भी पेश किया जाएगा. कुल मिलाकर दिल-दिमाग और पेट की बल्ले-बल्ले हो जाएगी. आलू-प्याज और मिक्स कुलचे की प्लेट 190 रुपये की है. पनीर के लिए 200 रुपये देने होंगे. सिंगल की कीमत 100 और 110 रुपये है. इस आउटलेट पर खाने के लिए और भी सामान हैं, लेकिन नाम के अनुरूप लोग अमृतसरी कुलचा ही खाने को आते हैं.
1984 से कामकाज चालू है, रजौरी गार्डन व पीतमपुरा में भी है ब्रांच
पश्चिम विहार के अलावा इनकी दो और आउटलेट हैं. दूसरी रजौरी गार्डन में और अन्य पीतमपुरा एनएसपी में. विशेष बात यह है कि पश्चिम विहार में इनकी सेंट्रल रसोई है, जहां से सारा खाना इन आउटलेट पर सप्लाई होता है. इसलिए कहीं भी खाइए, स्वाद लाजवाब ही मिलेगा. इन अमृतसरी कुलचे वालों की दास्तान भी सुन लीजिए. इनकी तरक्की पढ़कर आपको अच्छा लगेगा. अमृतसर से आकर वर्ष 1984 सुरेंद्र सैनी ने अपने बेटे व साले के साथ आउटर रिंग रोड पर मीरा बाग की लालबत्ती से पहले बाईं ओर स्टेट बैंक कॉलोनी के गेट के पास रेहड़ी पर ‘बलजीत दा ढाबा’ शुरू किया. खिलाने-पिलाने का तरीका शानदार था, इसलिए लोगों की भीड़ जुटने लगी.
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बाद में बढ़ते ट्रैफिक, इलाके में बनने वाले फ्लाईओवर व अन्य कारणों से वर्ष 2011 में रेहड़ी का ढाबा बंद करना पड़ा और पास ही पश्चिम विहार में आउटलेट खोल लिया गया. नाम तो पहले से ही था. खाने वाले यहां भी पहुंच गए. अब इन तीनों आउटलेट की जिम्मेदारी स्वर्गीय सुरेंद्र सैनी की पत्नी सुनीता सैनी व दो बेटो के जिम्मे है. उनका कहना है कि ‘पापाजी’ ने अमृतसर और दिल्ली के स्वाद का मिश्रण कर जो मसाला तैयार किया था, वह आज भी चल रहा है और यही उनकी तरक्की का मूल मंत्र है. सुबह 8:30 बजे कामकाज शुरू हो जाता है ओर रात 10 बजे तक अमृतसरी कुलचों का मजा लिया जा सकता है. अवकाश कोई नहीं है. नजदीकी मेट्रो स्टेशन कोई नहीं है। आसपास पीरागढ़ी मेट्रो स्टेशन है लेकिन वहां से आपको रिक्शा लेना होगा.
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