नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में दुनिया में कई तरह के प्रयोग चल रहे हैं जो मानव को अचंभित कर रहे हैं. एक ऐसा ही अनोखा काम वैज्ञानिकों ने किया है.
प्लास्टिक, कागज, जिलेटिन से बनी थी मछली
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम मछली बनाई है जो मानव हृदय की कोशिकाओं से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग करके अपनी पूंछ फड़फड़ाती है. मछली प्लास्टिक, कागज, जिलेटिन और हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं की दो पट्टियों से बनी होती है. ये प्रयोग हार्वर्ड के वैज्ञानिकों के साथ-साथ एमोरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था.
कृत्रिम मछली का तैरता हुआ बना वीडियो
अध्ययन के निष्कर्ष साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. हार्वर्ड स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज (एसईएएस) ने यहां तक के अध्ययन के बारे में ट्वीट किया है जिसमें कृत्रिम मछली के तैरते हुए एक वीडियो पोस्ट किया गया है. इससे शोधकर्ताओं को पेसमेकर में सुधार के बारे में समझ बढ़ाने के बारे में और नॉलेज मिलने की संभावना है.
This artificial fish is powered by human heart cells.
— Harvard SEAS ()
इस प्रयोग से नई संभावना का हुआ जन्म
अध्ययन के प्रमुख लेखकों में से एक किट पार्कर ने कहा, “इस मछली परियोजना का लाभ यह है कि हम अभी भी जीवित कोशिकाओं को इंजीनियरिंग सब्सट्रेट के रूप में उपयोग करने में महारत हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. हृदय अत्यंत जटिल है और यह शरीर रचना की नकल करने के लिए पर्याप्त नहीं है. विकृत दिलों से पैदा हुए बच्चों के लिए इंजीनियर दिल बनाने के लिए आवश्यक मजबूत व्यवहार के लिए बायोफिजिक्स को फिर से बनाना चाहिए.”
पार्कर ने आशा व्यक्त की है कि टीमें इन कोशिकाओं और ऊतकों को साढ़े चार महीने से अधिक समय तक जीवित रखने में सफल हो जाती हैं तो कमाल की बात होगी.