नई दिल्ली: ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में 26 फरवरी, शनिवार को दिखाया गया (Anupamaa 26th Feb written update) कि अनुपमा वनराज की क्लास लगाने के लिए उसके ऑफिस पहुंचती है. वनराज के केबिन में अनुपमा वनराज से कहती है कि आज उसके पास पैसा, कंपनी सबकुछ है लेकिन वो उससे खुश नहीं है. अनुपमा वनराज से कहती है कि उसे अपनी जीत से खुशी नहीं दूसरों की हार से ढूंढता है. अनुपमा कहती है उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा हम लोग अब तक हारे क्यों नहीं हैं? टूटे नहीं हैं? अनुपमा वनराज को मि.वनराज नहीं सिर्फ वनराज कहकर बुलाती है.
अनुपमा वनराज के सामने अनुज की तुलना श्रीराम से और वनराज की तुलना रावण से करती है. वो वनराज से कहती है कि उसे कुर्सी मिल जाने से लगता है सबकुछ मिल गया लेकिन कीमत कुर्सी पर बैठने वाले की होती है. अनुज जमीन पर बैठ जाए तो सिंहासन बन जाएगा. वनराज को अनुपमा जमकर खरी खोटी सुनाती है और कहती है अनुज मुक्कु के लिए पीछे हटा, वो खुद को बारे में कहती है कि वो अनुज और मुक्कु के लिए पीछे हट गई लेकिन पीछे हटने का मतलब ये नहीं कि वो पीछे रह गए.
वनराज अनुपमा से ‘हाऊ डेयर यू’ कहता है. वनराज सिक्योरिटी से अनुपमा को धक्के मारकर बाहर निकालने’ के लिए कहता है. सिक्योरिटी वनराज से कहता है कि वो अनुज सर की अनुपमा के साथ बदतमीजी नहीं करेंगे. अनुपमा जमकर वनराज को सुनाती है और वहीं, खड़ी मुक्कु का आखिर में ‘ऐसा है अपना अनुज’ कहकर निकल जाती है. अनुपमा बिल्डिंग के नीचे अनुज को बैठे देखती है और पूछती है कि वो यहां क्या कर रहा है. वो कहता है कि वो उसके लिया यहां आया है और दोनों वहां से निकल जाते हैं. मालविका दोनों को देखकर सोचते रह जाती है वो क्या करे?
शाह परिवार मिलकर अनुपमा के जन्मदिन पर पूरे घर को सजाते हैं. जिग्नेश घर आता है और उसे देखकर सब खुश हो जाते हैं. किंजल कहती है कि बापूजी अनुपमा को जन्मदिन पर 45 गिफ्ट दे रहा है. बा ये सुनकर ताना मारती है कि वो इतने पैसे क्यों खर्च कर रहे हैं. बापूजी कहते हैं कि उन्होंने कभी उसका जन्मदिन नहीं मनाया. काव्या वहीं, कहती है कि बापूजी जितना चाहें खर्च कर सकते हैं लेकिन वो लोग जल्द ही अमीर हो जाएंगे. जिग्नेश और बापूजी कहते हैं कि अनुपमा का जन्मदिन यादगार होगा.
अनुज डायमंड रिंग अनुपमा के लिए खरीदता है. मालविका आती है और अनुज को हग करती है. अनुज उसे अनुपमा से मिलने के लिए कहता है लेकिन मालविका कहती है कि वो अनुपमा का सामना नहीं कर सकती है क्योंकि उसने एक बड़ा कदम उठाया है. अनुज से मालविका कहती है कि वो शर्मिंदा महसूस नहीं कर रही है. अनुज कहता है कि वो परवाह नहीं करता कि क्या हुआ बल्कि अनुपमा क्या सोचती है इससे फर्क पड़ता है. अनुपमा अनुज के प्रपोजल के बार में सोचती है.
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