चांदनी चौक में मिलेंगी 40 से अधिक वैरायटीज की शुद्ध बंगाली मिठाइयां, पहुंचें ‘अन्नपूर्णा भंडार’

(डॉ. रामेश्वर दयाल)

Famous Food Joints In Delhi-NCR: पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इलाका देसी खानपान के लिए खासा मशहूर है. कहीं पर आपको कचौड़ी का खस्ता स्वाद दिखेगा तो कहीं पर छोले-कुलचे. कहीं पर पराठों की खुशबू उड़ती दिखाई देगी तो दूसरी ओर बेड़मी हलवे का स्वाद आपका मन मोह लेगा. खाने-पीने में तो चांदनी चौक मेन बाजार का हाल यह है कि यहां औसतन हर 20 कदम पर आपको खाने का कोई ठिया, खोमचा या दुकान दिख जाएगी. आप हैरान होंगे कि इसी बाजार में एक ऐसी पुरानी दुकान हैं, जहां पर सालों से बंगाली मिठाइयां ही मिलती हैं. इस दुकान पर कोई भी देसी मिठाई जैसे बर्फी, बेसन, मोतीचूर के लड्डू आदि कुछ नहीं मिलता है. बस, मिलती है तो बंगाली मिठाइयां. दिल्ली की यह पहली ऐसी दुकान है जो सालों से शुद्ध बंगाली मिठाई ही खिला रही है.

40 से अधिक वैरायटी, कई स्वादों से भरी संदेश मिठाई
लाल किला से जब आप चांदनी चौक मेन बाजार में प्रवेश करेंगे तो आगे दाहिनी ओर फौवारा चौक के मुहाने पर यह सालों पुरानी अन्नपूर्णा भंडार नाम की दुकान है. प्रवेश करते ही आपको पता चल जाएगा कि इस दुकान में बंगाली मिठाइयों की बहार फैली हुई है. किसी तश्तरी में संदेश और रसोगुल्ला मिलेगा तो किसी तश्तरी में रसोमाधुरी और दिलबहार आपका दिल जीत लेगी.

थोड़ा और नजर घुमाएंगे तो कादंबरी, मोहनभोग, चमचम, आनंदभोग और रसमलाई भी आपको अपनी ओर खींचती नजर आएगी. कुल मिलाकर इस दुकान पर 40 से अधिक बंगाली मिठाइयां मौजूद हैं. स्वाद में कोई घुसपैठ नहीं. निखालिस बंगाल ही बंगाल पूरी दुकान में छाया दिखेगा.

काली मिर्च में बना सिंघाड़ा और खस्ता निमकी की बात ही निराली है
दुकान के अंदर कुल्हड़ में ललचाती मिष्ठी दही भी आपका ध्यान जरूर खिंचेगी. इन मिठाइयों को देखते, खुशबू लेते और खाते हुए आपको लगे कि कुछ नमकीन हो जाए तो यहां पर काली मिर्च में बना और देसी घी में तला सिंघाड़ा (समोसा) भी मिल जाएगा. इसके अलावा खस्ता निमकी (मठरी) भी मौजूद है. सब कुछ ताजा और स्वाद से भरा. संदेश की तो कई वैरायटी हैं तो कादंबरी (गुलाबी रसोगुल्ला) स्वाद में अलग ही मजा देगा. सब कुछ बंगाल के स्वाद व रस से ओतप्रोत.

कीमत भी बहुत अधिक नहीं है. इन सब मिठाइयों की कीमत प्रति पीस 25 से 35 रुपये के बीच है. समोसा, मठरी और मिष्ठी दही का छोटा कुल्हड़ 25 रुपये मे मिलता है. अगर किलो की बात करें तो इन सभी मिठाइयों की कीमत 700 रुपये से लेकर 1200 रुपये के बीच है.

वर्ष 1929 में चार बंगाली भाइयों ने शुरू की थी यह दुकान
पुरानी दिल्ली के कल्चर में रची-बसी इस दुकान को दिल्ली की पहली बंगाली मिठाई की दुकान का तमगा हासिल है. करीब 92 साल पहले वर्ष 1929 में इस दुकान को मोनीतो मोहन मुखर्जी और उनके तीन भाइयों ने शुरू किया था. पहली उनकी अविभाजित बंगाल में ऐसी ही मिठाई की दुकान थी. उसके बाद यह दुकान उनके चार बेटों नरेंद्रनाथ मुखर्जी व तीन अन्य भाइयों के जिम्मे आ गई. आज इस दुकान को मुखर्जी के बेटे तुषारकांति मुखर्जी, मिहिर मुखर्जी व शिशिर मुखर्जी चला रहे हैं.

तुषार बताते हैं कि हम सभी भाइयों के बेटे अब नौकरी कर रहे हैं. बता नहीं सकते कि दुकान आगे चलेगी या नहीं. उनका कहना है कि आज भी हम अपने कारीगर बंगाल से ही बुलाते हैं. सब कुछ रोज फ्रेश माल बनता है. रविवार को अवकाश रहता है. दुकान सुबह 9 बजे खुल जाती है और शाम 7 बजे बंद हो जाती है.

नजदीकी मेट्रो स्टेशन: चांदनी चौक

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