Delhi Food Outlets: आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली में खोमचे के आइटम चटपटे और मोहक होते हैं. खोमचा असल में एक प्रतीक है. इसका शाब्दिक अर्थ तो यह है कि सिर पर टोकरी (छाबा) रखकर बेचे जाने वाले आइटम. लेकिन अब यह नाम विशेष खाद्य पदार्थों के साथ जुड़ गया है. अब अगर किसी दुकान या ठिए पर दही-भल्ले, भल्ले-पापड़ी, आलू की टिक्की आदि बिक रही होगी तो उसे खोमचा मान लिया जाएगा. आज हम आपको एक ऐसे खोमचे के ठिए पर ले चल रहे हैं, जहां की ये सभी डिश खाने के
लिए भीड़ जुटती है. इन्होंने पहले वाकई शुरू में खोमचा लगाया फिर रेहड़ी पर खोमचे वाले आइटम बेचे और आज शानदार ठिया चला रहे हैं.
चाट खाने जुटती है भीड़
नार्थ दिल्ली में आप कमला नगर से आजाद पुर की ओर चलेंगे तो अशोक विहार के बाहरी इलाके में भारत नगर रोड पर सड़क किनारे आपको कई वाहन खड़े दिखाई देंगे. आप देखेंगे कि सड़क के किनारे दो-तीन ठिए हैं. इसी ठिए को ‘राजू चाट भंडार’ कहा जाता है. असल में आप किसी को बताएंगे कि भारत नगर नाले के पास बने ठिए से दही-भल्ले खाकर आए हैं, तो बंदा तुरंत बोल उठेगा कि अरे, वहां पर तो बहुत भीड़ होती है. लोगों के लिए सालों से दिलकश बना हुआ है यह ठिया. यहां पर आपको दही-भल्ला, भल्ला पापड़ी, दही-पापड़ी, गोलगप्पे, करारी आलू टिक्की के अलावा काठी कबाब-रूमाली रोटी मिलेगी. एकदम ताजा और चटपटी. खाते ही आपको पता चल जाएगा कि खोमचा आइटम में कुछ खास खाया है.
चटपटे स्वाद से भरपूर हैं दही-भल्ले
काउंटर पर जाकर आप कूपन लीजिए और उसे देकर अपना आइटम लीजिए. जैसे आपने दही-भल्ले का कूपन कटाया है तो आप देखेंगे कि एक प्लेट में भल्ला और पापड़ी बिछाई जाएगी, उसके ऊपर उबले आलू और बूंदी फैलाई जाएगी, इनके ऊपर खास मसालों को छिड़का जाएगा. इन सबके ऊपर एकदम गाढ़ी दही की परत बिछाई जाएगी. फिर इस आइटम को और स्वादिष्ट बनाने के लिए चटपटी हरी व अनारदाने वाली मीठी लाल चटनी के अलावा मसालेदार कचालू भी डाले जाएंगे. आखिर में उसके ऊपर एक बार और मसाला और आलू की सेंवई डालकर आपको पेश कर दिया जाएगा.
इस ठिए को करीब 30 साल पहले वर्ष 1990 में जुम्माराम टुटेजा ने शुरू किया था.
खाते ही आप महससू करेंगे कि ऐसा आइटम दिल्ली में शायद कहीं मिलता हो. वजनदार और स्वाद से भरपूर. आप यहां की तली हुई करारी आलू की टिक्की का मजा लीजिए. टिक्की उबली चने और मटर के अलावा किशमिश का स्टफ्ड भरा जाता है. एकदम करारी होने के बाद मसाले और चटनी के साथ खाएंगे, अलग ही आनंद मिलेगा.
आलू की टिक्की, काठी कबाब-रूमाली रोटी है लाजवाब
इस ठिए के आप काठी कबाब व रूमाली रोटी को भी खाकर देखिए. बड़े तवे पर गाढ़ी ग्रेवी में स्टिक वाली सोयाबीन की काठी तल रही होती है, जो मसाले से भरपूर है. यहां की रूमाली रोटी वहीं पर ताजी बनाई जाती है. इस आइटम के साथ कटी हुई प्याज व हरी चटनी सर्व की जाती है. जानदार और शानदार. मसालों का ऐसा मिश्रण, जो आपकी जुबान में तरंगे पैदा कर देगा. इस ठिए पर गोलगप्पे पाव-भाजी और चीला का भी आनंद उठाया जा सकता है. यह सभी आइटम 50 रुपये से लेकर 120 रुपये तक हैं.
यहां सभी आइटम 50 रुपये से लेकर 120 रुपये तक हैं.
इस ठिए को करीब 30 साल पहले वर्ष 1990 में जुम्माराम टुटेजा ने शुरू किया था. उन्होंने यहीं सड़क किनारे पहले खोमचा लगाया. तब सिर्फ दही-भल्ले की बेचे. जब धंधा चल निकला तो यहीं पर रेहड़ी लगाई. उसके बाद ठिए बना लिए गए. बाद में इस ठिए की कमान उनके दो बेटों राजू व रमेश टुटेजा ने संभाली. आज तीसरी पीढ़ी के तौर पर उनके बेटे सौरभ व अन्य लाडले ठिया चलाने में मदद कर रहे हैं.
बहुत ही नाम पा चुकी है यह दुकान. अगर आप वाकई दही-भल्ले खाने के शौकीन हैं तो एक बार यहां जरूर पहुंचे. दोपहर 12 बजे ठिया शुरू हो जाता और सामान्य दिनों में रात 9 बजे तक चलता है. कोई अवकाश नहीं है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: शास्त्री नगर