Delhi NCR Food Outlets: (डॉ. रामेश्वर दयाल) जब भी कभी हम सूप की बात करते हैं तो दिमाग और जुबान पर चाइनीज सूप ही छा जाता है. अगर हम शाकाहारी हैं तो टोमेटो या वेज सूप को प्राथमिकता देंगे. नॉन वेज हैं तो चिकन सूप ही हमारी पंसद होगा. लेकिन यह सूप ऐसे हैं जिसमें चाइनीज स्वाद का तड़का होगा. कारण, स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें अजीनोमोटो (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) तो डाला ही जाएगा, साथ ही स्वाद को अलग बनाने के लिए उसमें सिरका, ग्रीन सॉस आदि भी डाल दी जाएगी. असल में यह भारतीय सूप (शोरबा) नहीं है. भारतीय सूप की जान तो खड़े गरम मसाले हैं, साथ में लाल मिर्च का तीखापन. अगर यह सूप खास नॉनवेज का हो तो मजा ही आ जाए. आज हम आपको एक ऐसी दुकान पर लिए चलते हैं, जिसका नॉनवेज सूप हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. वह बनाया ही मटन और चिकन की हड्डियों (Bones) से जाता है, साथ में खालिस भारतीय स्वाद. दिल्ली (Delhi) में ऐसी बहुत कम शॉप हैं, जहां इस प्रकार का सूप सर्व किया जाता है.
नॉनवेज ही नॉनवेज, कोई शाकाहारी सूप नहीं
पहला सवाल तो यह है कि क्या इस प्रकार का सूप वाकई हमारी हड्डियों को मजबूत करता है. इस पर वैज्ञानिक (Scientific) चर्चा फिर कभी होगी, लेकिन आम मान्यता है कि इस तरह के सूप वाकई हड्डियों को मजबूत करते हैं. तो आज हम आपको इसी तरह की सूप की दुकान पर ले चल रहे हैं. उत्तर-पश्चिम दिल्ली (Delhi) स्थित रोहिणी के सेक्टर-16 (Rohini Sector-16) में डीडीए मार्केट में ‘पिंकी सूप कॉर्नर’ (Pinki Soup Corner) की दुकान है. यहां शाकाहारी सूप (Vegetarian soup) की कोई अवधारणा नहीं है. कोई भी सूप पीओ, नॉनवेज ही नॉनवेज. साथ में न कोई रोटी, न पराठां और न ही ब्रेड.
वाकई में असली मांसाहारी सूप (शोरबा) चाहिए तो आपको यहां मिलेगा. अब यह सुन लीजिए कि सूप कैसे-कैसे हैं. मांसाहारी लोग जिसे असली सूप मानते हैं, वह खरोड़े (बकरे के पैर) का होता है, जिसे पाए भी कहा जाता है. यहां इसकी बहुत डिमांड है. आप कहेंगे कि मुझे तो चिकन का सूप पीना है तो टंगड़ी (लेग पीस) के रूप में हाजिर है. इसके अलावा चिकन की हड्डियों के अलावा बोनलेस सूप भी मिलेगा. इसके अलावा अलग तरीके का चिकन की कलेजी (Liver या Giblet) का सूप भी हाजिर है.
मांसाहारी लोग जिसे असली सूप मानते हैं, वह खरोड़े (बकरे के पैर) का होता है.
खरोड़े और मुर्गे की टंगड़ी का सूप है शानदार
चूंकि यहां हड्डियों का ही सूप मिलता है तो उसकी रेसिपी भी अलग ही होगी, तभी तो हड्डियों का सूप बन पाएगा. खरोड़े का सूप बनाने में सबसे ज्यादा मेहनत होती है. रात को ही खड़े मसालों में खरोड़ों को पानी में डालकर रात भर मंदी आंच में उबलने के लिए छोड़ दिया जाता है. सुबह तक उसका हाल यह होता कि खरोड़े की हड्डियों के रग-रग से सूप निकल जाता है और उसकी हड्डियां इतनी मुलायम हो जाती हैं कि उसे उंगली से ही तोड़ा जा सकता है. बाकी सूप बनाने में वक्त थोड़ा कम लगता है, लेकिन टारगेट एक ही होता है कि हड्डियों को हर हाल में गलाना है.
इन सूप के साथ सिर्फ हरी चटपटी चटनी व कटी प्याज सर्व की जाती है. पीजिए और असली सूप का मजा लीजिए. सिंगल खरोड़े के सूप की कीमत 170 रुपये है. डबल टंगड़ी का सूप चाहिए तो वह भी 170 रुपये में हाजिर है. हड्डी वाले चिकन की फुल बाउल 90 रुपये की है तो बोनलेस की कीमत 110 रुपये में मिलेगी. कलेजी का सूप 130 रुपये में मिल जाएगा.
यहां हड्डी वाले चिकन की फुल बाउल 90 रुपये की है तो बोनलेस की कीमत 110 रुपये में मिलेगी.
करीब 18 साल से चल रही है दुकान
सूप के इस बिजनेस को 18 साल पहले राजेंद्र कुमार ढींगरा (पिंकी) ने शुरू किया था. करीब छह साल तक तो उन्होंने रेहड़ी पर सूप बेचा, फिर किराए पर दुकान ली और अब अपनी दुकान है. उनका कहना है कि वह बाजार से साबुत मसाले लाते हैं और अपने हिसाब से पिसवाकर सूप के लिए इस्तेमाल करते हैं. उनका कहना है कि वह भी सूप के शौकीन थे. लेकिन उन्हें दिल्ली में मनपसंद सूप नहीं मिलता था. इसलिए खुद ही इस काम को शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे लोगों की जुबान पर उनका सूप चढ़ गया. अब हाल यह है कि वह पूरे 12 महीने सूप ही बेचते हैं और लोग पसंद भी कर रहे हैं. सूप में कोई मिलावट नहीं, खालीस हड्डियों का सूप ही उनकी यूएसपी है. आजकल इस काम में उनके बेटे हर्ष ढींगरा भी मदद कर रहे हैं. शाम 4:30 बजे सूप मिलना शुरू हो जाता है और रात 11 बजे तक लोगों की आवाजाही लगी रहती है. मंगलवार को अवकाश रहता है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: रिठाला