(डॉ. रामेश्वर दयाल)
Famous Food Joints In Delhi-NCR: दिल्ली में सर्दी जैसे ही अपने परवान पर आती है, खान-पान के शौकीन सूप की तलाश में निकल पड़ते हैं. माना जाता है कि सूप हाजमेदार तो होता ही है, साथ ही शरीर को स्फूर्ति व पौष्टिकता प्रदान करता है. अगर सूप नॉनवेज है और वो भी खरोड़े (बकरे के पैर) का, तो इसके मुरीद मान लेते हैं यह सूप सर्दी में गर्मी तो प्रदान करेगा ही साथ ही हड्डियों में ताकत भी भर देगा. खरोड़े के सूप का क्रेज इतना बढ़ रहा है कि पिछले साल कच्चे खरोड़े की कीमत 50 रुपये थी. आज मीट की दुकानों पर इसकी कीमत 80 से 100 रुपये तक पहुंच गई है. हम आपको यह बताना चाहते हैं कि जिस मांसाहारी व्यक्ति को खरोड़े का ‘रोग’ लग गया, वह इसे पाने के लिए ठिए तलाशता रहेगा. आज हम आपको इस डिश के ऐसे ठिए पर ले चल रहे हैं जो राजधानी में खरोड़े बेचने में सबसे पुराना है. सालों ये ठिया फुटपाथ पर लग रहा है, लेकिन खाने के लिए कार वालों की लाइनें लगी रहती हैं.
खरोड़े की ताकत लोगों को इस ठिए पर खींचती है
करोल बाग की सड़क से आप शादीपुर डिपो की ओर जाएंगे तो बीच में पूसा रोड पड़ता है. इसी पूसा रोड के फुटपाथ शाम ढले एक ठिया सजता है. आकाश टावर के सामने इस ठिए ‘सुभाषजी खरोड़े वाले’ के लिए आपको किसी से पूछने की जरूरत नहीं पड़ेगी. फुटपाथ पर जहां भीड़ दिखे समझ जाइए, आप अपने मुरीद ठिए पर पहुंच चुके हैं. बढ़ती मांग के अनुसार यहां पर और भी नॉनवेज आइटम भी परोसे जाते हैं, लेकिन सबसे अधिक डिमांड खरोड़े के सूप और करी की है.
बड़े से पतीले में यह आइटम पकता दिखाई देगा. इसकी गंध चारों तरक ऐसा आवरण बना लेती है लोग खाने के लिए पहुंच जाते हैं. खरोड़े का सूप लेंगे तो उसकी कीमत 120 रुपये की है. सिंगल खरोड़ा करी की प्लेट 200 रुपये की है. असल में खाने वालों को इस ठिए के खरोड़े का स्वाद मुंह लगा हुआ है. उन्हें लगता है कि खरोड़े में जो ‘ताकत’ होती है, वह उन्हें इस ठीए पर मिल रही है.
कुलचे के साथ मजा देते हैं गुर्दे कपूरे और मगज टिक्का
ठिए के ओनर का भी मानना है कि लोग यहां खासतौर पर खरोड़े खाने के लिए ही आते हैं. पीछे रिज एरिया की सर्दी और उसका कोहरा जब यहां छाने लगता है, तो लोगों की भीड़ बढ़ जाती है, क्योंकि यह डिश शरीर में खासी गर्मी पैदा करती है. इस ठीए पर अगर स्टॉल पर गुर्दे- कपूरे, मगज टिक्का, मगज सींक कबाब भी मिलता है. इन सबको तवे पर तैयार किया जाता है. यह एकदम गाढ़ा होता है और इसे रोटी के अलावा मसाला कुलचा के साथ खाया जा सकता है. एक आइटम की कीमत 460 रुपये है. जबकि रोटी व कुलचा 15 रुपये का है.
इस परिवार ने वर्ष 1962 से शुरू किए थे खरोड़े बेचने
हमने बताया कि यह दिल्ली में खरोड़े का सबसे पुराना ठिया है. पहले इस ठिए को करोल बाग में दयाराम ने वर्ष 1962 में शुरू किया था. तब वह सिर्फ खरोड़ा करी ही बेचते थे. दिल्ली का विस्तार हुआ तो वर्ष 1972 में उनके बेटे चमनलाल इस ठिए को पूसा रोड पर ले आए. उसका कारण यह था कि ये रोड पूरी पश्चिमी दिल्ली को जोड़ता है. आज उनके बेटे सुभाष व महेश इस ठिए को चला रहे हैं. युवाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने खरोड़े के अलावा और भी डिश जोड़ लिए जो नाम कमा रहे हैं.
उनका कहना है कि हमारी पहचान तो खरोड़े से है. पूर्वज जो मसाले और बनाने का तरीका छोड़कर गए थे, हम आज भी उसी तरह से बना रहे हैं. बस मंदी आंच और देर तक पकाने से ही खरोड़े में जान आती है और लोग खींचे चले आते हैं. ठीया शाम 6 बजे शुरू हो जाता है और रात 10:30 बजे बत्ती बंद हो जाती है. मंगलवार को अवकाश रहता है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: करोल बाग
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