Milky Way के महाविशालकाय Black Hole से हो रहा रिसाव, कई हजार साल में एक बार होती है ऐसी घटना

वॉशिंगटन: नासा (NASA) के हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) ने पता लगाया है कि हमारे मिल्की वे (Milky Way) के सुपरमैसिव ब्लैक होल (Black Hole) से रिसाव हो रहा है. Sagittarius A* ब्लैक होल हमारी आकाशगंगा के केंद्र में है. इस ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का 4.1 मिलियन गुना है. हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) ने टॉर्च जैसे जेट के उत्सर्जन पकड़ा है. इस लीक की खोज चैपल हिल में उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गेराल्ड सेसिल के नेतृत्व में एक टीम ने की है.

कई हजार साल में होती है ऐसी घटना

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि मिल्की वे के सुपरमैसिव ब्लैक होल से रिसाव हो रहा है और Sagittarius A* नाम का ब्लैक होल समय-समय पर किसी ब्लोटॉर्च जैसा जेट उत्सर्जित करता है. ये घटना कई हजार साल में एक बार होती है. ब्लैकहोल के रिसाव के कारण अंतरिक्ष में हाइड्रोजन से भरे बादलों का निर्माण होता है.

हबल टेलीस्कोप ने खोजे सबूत

वैज्ञानिकों ने शोध के लिए नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप के अलावा कई अन्य तरह के टेलीस्कोप से मिले तरंगदैर्ध्य का अध्ययन कर ये निष्कर्ष निकाला है. वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि इस शोध के लिए डेटा हबल और चंद्र टेलीस्कोप के साथ-साथ चिली के अटाकामा रेगिस्तान में ALMA रेडियो टेलीस्कोप और न्यू मैक्सिको में वेरी लार्ज एरे (VLA) से लिया गया था. हालांकि हबल ने अभी तक जेट की तस्वीर नहीं ली है. इसे ‘फैंटम जेट’ के रूप में बताया जा रहा है. वैज्ञानिकों ने कहा कि हबल ने सबूत खोजने में मदद की है कि ये फ्लेम विशाल हाइड्रोजन बादलों को पैदा कर रही है.

नासा ने कहा कि खगोलविदों ने ब्लैक होल के पास हाइड्रोजन के चमकते बादल को पकड़ा है. ब्लैक होल से पैदा होने वाली एक पतली फ्लेम आसपास के बादलों को धीरे-धीरे धक्का दे रही है. ये फ्लेम करीब 2000 साल पहले ब्लैक होल से पैदा हुई थी.

ब्लैक होल से रिसाव

वैज्ञानिकों ने बताया कि अपने तीव्र गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण ब्लैक होल गैस, प्लाज्मा, धूल और अन्य कणों जैसी सामग्री को एक घूमते हुए डिस्क में खींचते हैं. इस डिस्क को ‘Accretion disk’ कहा जाता है. नासा (NASA) ने कहा है कि सभी चीजें ब्लैक होल की तरफ खिंची चली जाती है, लेकिन यहां जेट का प्रवाह विपरीत दिशा में हो रहा है. नासा ने इसे सर्चलाइट बीम का नाम दिया है.

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