Delhi Food Outlets:(डॉ. रामेश्वर दयाल) पिछले कुछ सालों से मैगी ऐसा फूड है जो केरल से लेकर कन्याकुमारी तक उपलब्ध है. अगर आपसे पूछा जाए कि भारत का ऐसा कौन सा व्यंजन है जो सैंकड़ों सालों से पूरे देश में अपनी शान दिखा रहा है, साथ में मशहूर भी है. हमारा मानना है कि इस कैटिगरी में समोसा पूरा फिट बैठता है. देश के किसी भी प्रांत या शहर में चले जाइए, आपको समोसा (कुछ राज्यों में इसे सिंघाड़ा भी कहा जाता है) जरूर खाने को मिलेगा. यह अलग बात है कि कहीं उसमें आलू भरे होंगे तो कहीं पर प्याज. आजकल तो मैगी समोसा से लेकर नॉनवेज समोसा भी उपलब्ध है.
अमीर खुसरो भी समोसे की तारीफ कर चुके हैं
हमने कहा कि समोसा सैंकड़ों सालों से अपने जलवे दिखा रहा है तो इतिहास की किताबों के जरिए हम इसे साबित कर सकते हैं. कहा जाता है कि समोसे की उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई और फिर यह धीरे-धीरे पूरे भारत, बांग्लादेश सहित आसपास के देशों में इसकी पहुंच हो गई. एक थ्योरी यह भी है कि समोसा मध्यपूर्व से भारत आया और धीरे-धीरे भारत के रंग और स्वाद में बस गया. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि दसवीं शताब्दी में मध्य एशिया में समोसा एक व्यंजन के रूप में सामने आया था. तब विदेशी व्यापारियों के साथ समोसे ने भारत में प्रवेश किया. भारत के जाने-माने शायर अमीर खुसरो (1253-1325 ईस्वी) ने जानकारी दी है कि दिल्ली सल्तनत में मांस से भरा और भरपूर घी में तला हुआ समोसा शाही परिवार के सदस्यों और अमीर-उमरावों का पसंदीदा खाना था.
यह भी जानकारी मिली है कि 14वीं शताब्दी में भारत यात्रा पर आये इब्नबतूता ने मोहम्म्द बिन तुगलक के दरबार का वर्णन करते हुए लिखा है कि वहां भोजन के दौरान मसालेदार मीट, मूंगफली और बादाम से भरा लजीज समोसा पेश किया जाता था. आप हैरान होंगे कि आईने अकबरी में भी समोसे का वर्णन मिलता है और अंग्रेज तो इसके दीवाने रहे ही हैं. जब समोसे की इतनी तारीफ हो चुकी है तो हम आज आपको मूंग की दाल से भरा हुआ समोसा खिलाते हैं साथ में भारतीय स्वाद से लबालब मालपुआ भी चखवाते हैं.
कुरकुरे समोसे का है अनूठा स्वाद
नई दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में मुल्तानी ढांडा में ‘जनता स्वीट्स’ नाम की एक दुकान है. यहां पर आलू का समोसा तो मिलता ही है, लेकिन असली जलवा मूंग की दाल से भरे समोसे का है. मूंग की दाल को हलकी नमक-मिर्च में फ्राई कर उसे समोसे में भरकर तला जाता है. जब तलकर यह बाहर निकलता है तो ऊपर से इसकी परत खासी कुरकुरी होती है, लेकिन अंदर की मसालेदार लेकिन नमकीन हलवे की माफिक दाल समोसे का अलग ही स्वाद पेश करती है. इसके साथ आपको आलू व छोले की चटपटी सब्जी भी पेश की जाती है. इन दाल-आलू-छोले और समोसे की कुरकुरी परत गजब के स्वाद में बदल जाती है. आपका मन करेगा कि दो समोसे तो खा ही लिए जाएं. यहां दो समोसे की प्लेट 24 रुपये की है. सिंगल समोसा 15 रुपये में उपलब्ध है.
यहां दो समोसे की प्लेट 24 रुपये की है. सिंगल समोसा 15 रुपये में उपलब्ध है.
मालपुआ के साथ हलवा भी है स्वादिष्ट
जब आपने यह चटपटी और मसालेदार डिश खा ली है तो साथ में मीठा भी तो बनता है न. तो इस दुकान पर आपको विशुद्ध भारतीय मिष्ठान्न मालपुआ भी मिलेगा. मालपुए के साथ थोड़ा सा हलवा भी सर्व किया जाता है, जिससे मीठे का स्वाद और उभर आता है. 40 रुपये में मालपुए की प्लेट का आनंद लिया जा सकता है. अगर आप इस दुकान पर सुबह पहुंच जाएंगे तो वहां पर आपको स्पेशल नाश्ता भी मिलेगा. यहां सुबह आटे व मैदे की मुल्तानी पूरी के साथ छोले की सब्जी नाश्ते के रूप में पेश की जाती है. इसका स्वाद भी आम पूरी छोले से जुदा है. सुबह 11 बजे तक यह नाश्ता मिलता है और इसकी कीमत 40 रुपये है. उसके बाद पूरे दिन समोसे और मालपुए का आनंद उठाया जा सकता है.
यहां 40 रुपये में मालपुए की प्लेट का आनंद लिया जा सकता है.
पाकिस्तान से दिल्ली आया ये स्वाद
दाल का यह समोसा असल में पाकिस्तान से दिल्ली आया है. बंटवारे के दौरान दो भाई दर्शन कुमार कंबोज और चंद्रप्रकाश जब दिल्ली आए तो उन्होंने रेहड़ी पर दाल समोसे बेचना शुरू किए. उनका परिवार पाकिस्तान में यही काम करता था. करीब 50 साल पहले उन्होंने पहाड़ंगज में दुकान ले ली. दाल समोसे जारी रहे. अब दोनों भाइयों के बेटे धीरज व कपिल इस दुकान को चला रहे हैं. उनकी मदद में तीसरी पीढ़ी के रूप में हितांशु व कृषि मदद कर रहे हैं. सुबह 7 बजे दुकान खुल जाती है और रात 9 बजे तक काम चलता रहता है. इनके व्यजंनों में प्याज, टमाटर,
लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता है. अवकाश कोई नहीं है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: आरके आश्रम मार्ग