मुगलई चाय का मजा लेना है तो जामा मस्जिद में ‘उस्ताद टी प्वाइंट’ पर आएं

Delhi NCR Food Outlets: (डॉ. रामेश्वर दयाल) दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) में प्रदूषण के साथ-साथ सर्दी का मौसम भी परवान चढ़ रहा है. प्रदूषण तो 12 महीने का मसला बन गया है और न ही इस कॉलम में हम उसके बारे में बात करने जा रहे हैं. बात सर्दी की हो रही हे तो ऐसे में हमारा मन खाने-पीने के लिए लालायित रहता है. सर्दी के इस मौसम में कुछ भी खाओ, हजम. उसका कारण यह है कि इस

मौसम में गरमा-गरम चाय तन-मन को स्फूर्ति देने के साथ भोजन को पचाने में भी सहायक होती है तो इन गुलाबी होती सर्दियों की शुरुआत हम चाय के साथ करते हैं. चाय भी हम आपको पिलाएंगे पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके की. चूंकि यह इलाका Ghetto (जहां एक ही जाति-धर्म के लोग घनी आबादी के रूप में रहते हैं) क्षेत्र कहलाता है, इसलिए चाय यहां जरूरत है. जो चीज जरूरत से जुड़ी होगी, उसमें बहुत तामझाम नहीं होगा. इस चाय को पेश करने का तरीका बेहद ही साधारण होगा, लेकिन पीते ही बता देगी कि इसमें जान है. कड़क चाय की अलग व्यवस्था है, हलकी चाय अलग से बनाकर दी जाएगी. खास बात यह है कि चाय के ऊपर उबलते दूध की झाग वाली मलाई जरूर होगी. यहां की चाय-छन्नी भी देखने में हैरानी पैदा करती है. इलाके में ऐसी चाय को लोग ‘मुगलई चाय’ (Mughlai Tea) कहते हैं.

कड़क और जोश वाली मिलेगी चाय

जामा मस्जिद के पास ही मीना बाजार है. मस्जिद के गेट नंबर-2 के नीचे बाजार में होटल लेन में ‘उस्ताद टी प्वाइंट’ है. यहीं पर आप पुरानी दिल्ली की ‘मुगलई चाय’ का मजा ले सकते हैं. चूंकि यह पूरा
इलाका कमर्शियल है, इसलिए चाय की दुकान पर लोगों की आवाजाही लगी रहती है. दुकान पर बैठने की कोई सुविधा नहीं है. पुरानी दिल्ली के इस मुस्लिम बहुल इलाके में यह बेहद सामान्य दुकान है. अगर आप
तामझाम वाली चाय चाहते हैं तो यह दुकान आपको निराश करेगी, लेकिन असली कड़क और जोश वाली चाय पीना चाहते हैं तो इस दुकान की चाय को आजमाया जा सकता है.

चाय बाहर खड़े होकर ही पीनी पड़ेगी. भीड़ भरा बाजार है, इसलिए बाहर बैंच भी नहीं लगा सकते. पूरे बाजार में चाय की सप्लाई है, इसलिए एक तरफ परातनुमा पतीले में दूध उबलता दिखाई देगा तो दूसरी ओर केतली में पानी खौल रहा है. यहां चाय उस तरीके से नहीं बनाई जाती तो अमूमन दिल्ली की हर चाय की दुकान में बनती नजर आती है. अलग ही तरीका है चाय बनाने का.

12 रुपये में पुरानी दिल्ली का चाय का मज़ा

स्टॉल पर रखे शीशे के गिलास, कप या कागज के गिलास में चीनी डाली जाएगी. दुकान पर चाय की छलनी दो हैं. दोनों में चाय छानने के लिए कपड़े लगे हुए हैं. एक छलनी से कड़क चाय बनाने वाली स्पेशल पत्ती है और दूसरी छलनी में हलकी चाय बनाने वाली पत्ती. इन छलनियों को गिलास के ऊपर रखकर थोड़ा खौलता पानी उंडेला जाता है, उसके बाद कड़ाही में उबलता दूध डाल दिया जाता है. बनाने वाला तेजी से सभी गिलासों में चम्मच से चीनी घोलने लगेगा. टन-टन-टन की आवाज ही समा बांध देगी. चाय देने से पहले उबलते दूध की झाग वाली मलाई डाली जाती है. हो गई मुगलई चाय तैयार. पीते ही समझ में आ जाएगा कि स्वाद अलग है. मात्र 12 रुपये की चाय में पुरानी दिल्ली की इस चाय का मजा लिया जा सकता है. दूध की स्पेशल चाय पीनी है तो 20 रुपये में हाजिर है.

थैली वाले दूध का नहीं होता इस्तेमाल

इस दुकान को 20 साल पहले मोहम्मद इरफान अली (उस्ताद जी) ने शुरू किया था. साथ में उनके भाई मोहम्मद आसिफ अली भी मदद करते हैं. उनका कहना है कि यहां के लोगों को कड़क चाय चाहिए, लेकिन
उनके लिए दूध और मलाई का तड़का भी जरूरी है. जिस कारण दुकान में हर समय दूध उबलता रहता है, ताकि उस पर मलाई चढ़ती रहे. यहां थैली वाला दूध इस्तेमाल नहीं होता. गाजीपुर मंडी से रोजाना भैंस का
दूध मंगाया जाता है. सुबह 6 बजे चाय मिलनी शुरू हो जाती है और यह सिलसिला रात 10 बजे तक चलता है. कोई अवकाश नहीं है.

नजदीकी मेट्रो स्टेशन: जामा मस्जिद

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