यह कांजी वड़ा आपका हाजमा दुरुस्त कर देगा, चांदनी चौक बाजार में ‘श्री श्याम कांजी कॉर्नर’ का लें स्वाद

Delhi Food Outlets: माना जाता है कि भारतीय व्यंजन खासे गरिष्ठ होते हैं. इनमें तेल, घी के अलावा अन्न व दालों का भी खूब इस्तेमाल होता है, इसलिए पेट पर भारी पड़ते हैं. भारतीयों की एक और आदत भी है कि जब मन करता है, वे खाने से परहेज नहीं करते हैं. इस कारण उनका हाजमा गड़बड़ रहने की आशंका रहती है. इसके उलट भारतीय भोजन की विशेषता यह भी है कि उसमें ऐसे तत्व मिलाए जाते हैं, जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं. इनमें भारतीय मसालों का जलवा रहता है. जिसमें हींग भी है तो

अजवाइन भी है, सौंठ और राई भी है तो अनारदाना और अमचूर भी. ये ऐसे मसाले हैं जो भोजन को स्वादिष्ट तो बनाते ही हैं, साथ ही उसे पचाने में भी मदद करते हैं. तो आज हम आपको ऐसी ही दुकान पर लेकर चल रहे हैं, जहां मिलने वाले व्यंजन खासे पाचक हैं. इनको खाने के बाद इस बात की संभावना पूरी है कि आपकी भूख बढ़ जाए और आप कहीं और जाकर कुछ और खा लें.

मटकी में बना कांजी-वड़ा है स्वादिष्ट

पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इलाका ऐसा है, जो खानपान के मामले में खासा मशहूर है. यह इलाका अब कमर्शियल हो चुका है, लेकिन इसकी विशेषता यह है कि यहां अभी भी पुरानी दिल्ली की विशेषताओं को जाहिर करने वाले व्यंजन मिलते हैं. आप चांदनी चौक मेन बाजार में चलेंगे तो फौवारा चौक पार करने के बाद दायीं ओर गली संगयान के कॉर्नर पर एक छोटी सी दो मंजिला दुकान है. नीचे वाली मंजिल पर ‘श्री श्याम कांजी कॉर्नेर’ है, जहां पर जबर्दस्त और हाजमेदार कांजी-वड़ा मिलता है.

इस दुकान की कांजी पीने और उसमें डूबा वड़ा खाने के लिए लोग खिंचे चले आते हैं. मटकी में बना हुआ कांजी-वड़ा आपको चुंबक की तरह खींच लेगा. कारण यह है कि उसमें से राई, हींग और काले नमक और अन्य मसालों की खुशबू आपको इसे खाने-पीने का निमंत्रण देने लगती है.

राई और हींग की गंध महकती है

मुहाने की यह छोटी दुकान तो है, लेकिन वहां लगा लोगों का मजमा बता देता है कि दुकान कुछ खास ही है. आप कांजी-वड़ा का ऑर्डर दीजिए, बड़े से प्लास्टिक गिलास में चार वड़े और भरपूर कांजी देखकर आपकी जीभ लपलपाने लगेगी. चम्मच से तोड़कर आप वड़ा और कांजी का मुंह में डालेंगे तो नाक में घुसी राई और हींग की खुशबू आपको वाह-वाह करने पर मजबूर कर देगी. ऐसा लगेगा कि इनका धुआं बन गया है और वह दिमाग पर चढ़ रहा है. स्वाद इतना लाजवाब है कि इस गिलास को आप पूरा खत्म करने के बाद ही संतुष्ट हो पाएंगे. कांजी-वड़ा के एक गिलास की कीमत 30 रुपये है. इस दुकान पर मिलने वाले दही-भल्ले, भल्ला-पापड़ी व पापड़ी चाट भी लाजवाब है.

इस दुकान पर मिलने वाले दही-भल्ले, भल्ला-पापड़ी व पापड़ी चाट भी लाजवाब है.

दही और सौंठ से भरी-पूरी, ऊपर से हरी चटपटी चटनी और अदरक के लच्छे इसमें जान फूंक देते हैं. बहुत तामझाम नहीं, लेकिन स्वाद ऐसा कि तन-मन प्रफुल्लता से भर जाए. पुराने शहर का असली स्वाद, तीखा-मीठा और चटपटा. कोई भी खाइए, 40 रुपये की प्लेट फुल-फुल संतुष्टि देगी.

22 साल से संचालित हो रही है यह दुकान

पुरानी दिल्ली के दुकानदार इस कांजी-वड़ा की दुकान पर फिदा रहते हैं. कोई खास और अपना आता है तो उसे यहां का कांजी-वड़ा या भल्ले-पापड़ी जरूर खिलाए जाते हैं. इस दुकान को 22 साल पहले रामगोपाल ने शुरू किया था. सालों पहले उनका परिवार मथुरा से आकर यहां बसा था. उसके बाद इस दुकान को उनके दो बेटे किरनपाल व दिनेश कुमार से संभाला.

यहां मिलने वाले कांजी-वड़ा के एक गिलास की कीमत 30 रुपये है.

यहां मिलने वाले कांजी-वड़ा के एक गिलास की कीमत 30 रुपये है.

आज दिनेश कुमार अपने भतीजे जयकिशन के साथ इस दुकान को संभाल रहे हैं. उनका कहना है कि यह हमारा पुश्तैनी धंधा है. हमारे मसालों का मैन्यू फिक्स है, जिसे पूरा परिवार खुद तैयार करता है, इसलिए स्वाद लोगों को लुभाता है. आज दुकान दोपहर 1 बजे खुलती है और रात 8 बजे बंद कर दी जाती है. कोई अवकाश नहीं है.

नजदीकी मेट्रो स्टेशन: चांदनी चौक

Source link

Leave a comment