पश्चिमी देशों की मनमानी! रोज 1 लाख से ज्यादा केस आने पर भी ब्रिटेन में अब ‘No Mask’

नई दिल्ली: अगर आप दो साल से मास्क और Work from Home से तंग आ चुके हैं, तो ये जानकर आपको खुशी होगी कि ब्रिटेन में अब ना तो मास्क लगाने की जरूरत होगी, ना किसी को Work from Home करना पड़ेगा और सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाने की जरूरत भी नहीं होगी. यानी ब्रिटेन में सब कोरोना काल से पहले जैसा हो जाएगा. क्योंकि, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने लगभग सभी प्रतिबंधों को खत्म कर दिया है.

सरकार ने लिया फैसला

Work from Home का नियम तो तत्काल प्रभाव से हटाया जा चुका है. सेकंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मास्क लगाने से मुक्ति भी दे दी गई और ब्रिटेन के सभी नागरिकों को कह दिया गया है कि 27 जनवरी से किसी को भी क्लब, रेस्टोरेंट जैसी Indoor जगहों पर मास्क लगाकर जाने की जरूरत भी नहीं है और भीड़भाड़ वाली किसी भी जगह पर वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाने का नियम भी पूरी तरह हटा लिया गया. क्योंकि वहां 60% से अधिक लोगों ने बूस्टर डोज भी लगवा ली है, जिसे ब्रिटेन की सरकार कोरोना से सुरक्षा के लिए पर्याप्त मानते हुए लोगों को मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों से मुक्त कर दिया.

ब्रिटेन में हर रोज आ रहे हैं 1 लाख से ज्यादा केस 

इसका मतलब आप ऐसे समझ सकते हैं कि ब्रिटेन में अगले हफ्ते से सब कुछ वैसे ही चलेगा, जैसे कोरोना काल के पहले चल रहा था. ब्रिटेन सरकार के फैसले पर कुछ लोगों को हैरानी भी है, क्योंकि वहां प्रतिदिन कोविड के एक लाख से ज्यादा मामले अब भी सामने आ रहे हैं और ऐसी स्थिति में लोगों को मनमानी की छूट देने से हालात बिगड़ भी सकते हैं. लेकिन, ये तो ब्रिटेन और दूसरे पश्चिमी देशों की आदत है कि कब, क्या करना है, ये वही तय करते हैं और बाकी देश उन्हीं की नकल करते हैं. कोविड संकट की शुरुआत से यही हो रहा है.

पश्चिम को फॉलो करते हैं बाकी सभी देश

पश्चिम के देशों ने तय किया कि लॉकडाउन लगाना है, तो दूसरे देश भी लॉकडाउन लगाने लगे. यूरोप के देशों को लगा कि लॉकडाउन से कोई फायदा नहीं है, तो दूसरे देशों ने भी लॉकडाउन से पीछा छुड़ा लिया. अब ब्रिटेन ने कोरोना महामारी का अंत घोषित किया, तो यूरोप के दूसरे देशों भी माहौल बना रहे हैं कि अगले कुछ दिन में प्रतिबंध लगभग हटा दिए जाएंगे. विदेश से आने वालों को अब यूरोप के कई देशों में कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट दिखाने के नियम से छुटकारा मिल ही चुका है. पश्चिम के देशों ने ही क्वारंटीन का समय 14 दिन तय किया था और सभी देशों ने उसे अपने यहां लागू किया. अब यूरोप में क्वारंटीन का समय 5 दिन कर दिया गया है और इसे भी सभी देशों ने नियम समझकर मान लिया है.

मनमानी करते हैं पश्चिम के देश

यूरोप के ये वही देश हैं, जिन्होंने ओमिक्रॉन वेरिएंट के नाम पर दक्षिण अफ्रीका से आने वालों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था. कई देशों की हवाई यात्रा पर भी मनमाने तरीके से प्रतिबंध लगा दिए गए थे. पश्चिम के देशों ने तब WHO की सलाह भी नहीं मानी कि हवाई यात्रा पर प्रतिबंध लगाने से कुछ नहीं होगा. क्योंकि, यूरोप के कई देशों में तो ओमिक्रॉन वेरिएंट पहले ही पहुंच गया है. लेकिन, तब पश्चिम के देशों ने WHO की बात भी नहीं मानी. क्योंकि, सारे नियम-कायदे तो वही देश तय करते हैं. इन्हें दूसरे देशों में वायरस के वेरिएंट से परेशानी होती है, लेकिन जब इनके यहां कोई नया वेरिएंट मिलता है, तब ये कोई ऐक्शन नहीं लेते.

पश्चिमी देश तय करते हैं नियम?

इन देशों ने वैश्विक महामारी में भी अपने मानक बना रखे हैं, जिसमें वो भारत में दिवाली की खरीदारी करने वाली भीड़ को कोरोना का सुपर स्प्रेडर बताते हैं, लेकिन यूरोप की फुटबॉल लीग के मैच में स्टेडियम में हजारों की भीड़ से उनको परेशानी नहीं होती. सब कुछ अपनी सहूलियत से तय करने वाले इन देशों ने तय कर लिया है कि कोरोना से अब डरने की जरूरत नहीं है.

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